Friday, 25 June 2010

अशोक आंद्रे

एकांत

शहर से निकल कर, वह सुनसान घने जंगल की तरफ चल पड़ा . किसी डरावने परिवेश में लिपटी हुई जंगल की खामोशी उसे आमंत्रित कर रही थी. जंगल, जहां छोटे-बड़े पेड़ों की विशाल फौज और उनके नीचे किसी अनबूझ पहेली की तरह बेतरतीबी से बिछी हुई हरी-भरी घास . उनके पैर गतिवान थे किसी अजनबी अज्ञात की ओर .
अचानक अट्टहास का क्रूर स्वर .
पैर ठिठक गए .जीवन के सभी प्रश्न एक साथ विस्मय से चीख उठे , " कौन है"?
फिर अट्टहास.
घबराहट ने थोड़ी हिम्मत बटोरी - " कौन हंस रहा है", इस एकांत में ? सामने क्यों नहीं आता .
"मैं" मैं वही हूँ जिसकी तलाश में तुम अज्ञात में पलायन कर रहे हो ".
" क्या मतलब ?"
" मैं हूँ एकांत" .
" लेकिन तुम इतने क्रूर, इतने डरावने क्यों लग रहे हो"?
" अंत हमेशा डरावना ही लगता है. तुम एक अंत की ओर ही तो बढ रहे हो. जीवन के प्रश्नों से भाग कर , एकांत का उत्तर खोजने वाला राही एक डरावने अंत से अधिक कुछ नहीं पा सकता.
" नहीं ....नहीं, मैं अंत नहीं चाहता .....मैं अंत नहीं चाहता ....मैं जीवन चाहता हूँ.....
और वह उल्टे पैरों जीवन के प्रश्नों की ओर लौट पड़ा .


....................


A REVERIE - by ashok andrey

Great silence of trembling darkness at evening
Melts in the chores, scattered in my surrounding.
So-called "extract" of my trembling dreams
Remains untouched to the shadows of eternal thoughts,and
Chases me in the emotions of frozen past.
shapeless echoes over great eclat.

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9 comments:

Anonymous said...

Bhai Ashok ji
Aapki kavitayen achhi lagi.
Chahal

रश्मि प्रभा... said...

kitne saral dhang se saargarbhit satya kah diya.... bahut hi badhiyaa

PRAN SHARMA said...

AAKAL AAP BAHUT ACHCHHA LIKH RAHE
HAIN.ISEE TARAH LIKHTE RAHIYE AUR
MUN KO LUBHAATE RAHIYE

रूपसिंह चन्देल said...

भाई अशोक,

कितनी गज़ब की कविता लिख दी तुमने. मैं भयभीत हो उठा और जिन्दगी प्रश्न खोजने के लिए वापस लौट रहा हूं.

बधाई.

चन्देल

रूपसिंह चन्देल said...

Bhai,

English Poem ko alag se post karana chahiye tha. Sabhi ki pratikriya Hindi Kavita ke liye hai.

Angreji ki kavita bhi bahuta pasand aayi mere seemit angreji jnan ke bavvajood.

word verification ka option hata do.

Chandel

Anonymous said...

I have read your many poems. As and when I read any one of your poems, it gives me new thoughts. Really you and your poems are great- says my soul. Only single verse of your poem is able to change the heart of a man. Your poems attack directly to heart. I want to read the poems many times and every time it looks like new and also gives new direction.

You have a power of words. Really you are great and your words are very powerfull.

Thank you.
Khemraj Meena

Anonymous said...

अशोक जी
आज आपके ब्लॉग पर काफी कुछ पढ़ा | कहानियों और कविताओं ने बांधे रक्खा | कविता हो या कहानी - दोनों ही विधाओं में आपकी लेखनी समान रूप से चलती है | बधाई !
इला

Dr. Sudha Om Dhingra said...

बहुत दिनों बाद आप के ब्लॉग पर आई हूँ. किसी प्रोजेक्ट में व्यस्त थी.
ऑन लाइन कम ही रही हूँ. सारा का सारा पढ़ा डाला. बहुत बढ़िया लिखते हैं आप.
बधाई.

Anonymous said...

Hey There. I found your blog using msn. This is a very well written article. I will be sure to bookmark it and come back to read more of your useful information. Thanks for the post. I'll definitely return.